गुरुवार, 16 मार्च 2017

सच और झूठ

        "सच"

न कभी कहा जायेगा।
न कभी सुना जायेगा।
कभी कभी तो
लगता है
हमारी अगली नस्ल
आँखे बड़ी करके कहेगी
"बरसों पहले
लोग बोलते थे सच।"

       "झूठ"

कितनी दूर दूर तक
फैल चुका है कारोबार।
सोने, चाँदी, कपड़े
नहीं
"झूठ" का।
बिना पूँजी लगाए
दिनों-दिन प्रगति पर है
यह धंधा।

गुरुवार, 9 मार्च 2017

काश!!!

ज़िन्दगी लेती है परीक्षा
हमारे धैर्य की,
हमारे विश्वास की,
हमारी सहनशीलता की।
ज़िन्दगी छीन लेती है हमारी खुशियाँ
और फिर
देखना चाहती है हमारे आँसू
रो लो,
जितना कि रो सको।
दर्द सहो,
जितना कि सह सको।
ज़िन्दगी
उन अपनों के लिए
तड़पा देती है
जो हमारे लिए बने थे।
ज़िन्दगी
उन सुख भरे क्षणों के लिए
तरसा देती है
जो हमारे हिस्से के थे।
हम हमेशा ज़िन्दगी के बताए रास्ते पर
चल पड़ते हैं।
काश!!!
कभी ज़िन्दगी भी चलती
हमारे मन मुताबिक।