शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

धैर्य

धैर्य रख, ये रात बीत जाने दे।
मुस्कुरा ले और सुबह को आने दे।
ज़िन्दगी में ख़ुशी है बिखरी पड़ी,
धूप को बस कोहरे हटाने दे।।

गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

अनुकूलन

अपनी जड़ों से उखाड़कर 
उसे लगाया जा रहा है
एक स्थान से
दूसरे स्थान पर।
नई हवा,
नई मिट्टी,
नई धुप में कर लेगी अनुकूलन
या फिर
मुरझा जाएगी
एक हरी भरी पौध।